लिब्रे एसेंस स्टूडियो अनन्त – अनुराग गुप्ता की कृतियाँ: आध्यात्मिक कला, भित्ति चित्र, शिल्प और अनुरूप चित्रांकन – भारत

स्वागत है! यहाँ दृश्य और अदृश्य, चेतना के पवित्र सेतु पर मिलन करते हैं।

अनन्त मंडल – प्रकाश संरक्षक सदस्यों का निजी मंडल

स्वागतम्! यत्र दृश्यं च अदृश्यं च पवित्रसेतुना संयोज्यते

1 Neo-Tantric Visionary Art by Spititual Artist Anuragk Gupta Libre Essence Style Studio Ananta
1 Neo-Tantric Visionary Art by Spititual Artist Anuragk Gupta Libre Essence Style Studio Ananta

पृष्ठभूमि

आध्यात्मिक कलाकार • दूरदर्शी संस्थापक, लिब्रे एसेंस स्टूडियो अनंत

सन 1973 में कलकत्ता में जन्मे अनुराग के. गुप्ता एक ऐसे वंश से आते हैं जो ज्ञान, कला और सेवा की गहरी परंपरा में रचा-बसा है।

उनके पितामह के परदादा डॉ. हरि गोपाल गुप्ता, सन् 1800 के दशक में जोधपुर राजदरबार के राजवैद्य थे — जिनका नाम आज भी राजस्थान के दरबारी अभिलेखों में आदरपूर्वक अंकित है।

उनके दादा डॉ. ए. एम. गुप्ता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, जिन्हें भारत छोड़ो आंदोलन में योगदान के लिए याद किया जाता है — अजमेर ज़िले की “डॉक्टर गुप्ता स्ट्रीट” आज भी उनके नाम पर बनी हुई है।

मातृ पक्ष से, अनुराग सुंदरबन के भू-स्वामी परिवार से संबंध रखते हैं। उनके परदादा राय साहब हरिदास गुप्ता, शिमला कालीबाड़ी मंदिर के संस्थापक थे। परिवार में संस्कृत विद्वानों और संगीतज्ञों की परंपरा रही, जिन्होंने कला और अध्यात्म — दोनों की साधना को जीवन का आधार बनाया। यह संगम — राजकीय सेवा, विद्या और भक्ति — अनुराग के जीवन के कैनवास की नींव बना।

बचपन में, हिमाचल प्रदेश के सोलन की धुंधली देवदार घाटियों में अनुराग की सृजनशीलता फूटी — जहाँ निस्तब्धता, पर्वत और मंदिर की घंटियाँ उनके पहले गुरु बने। दीवारों पर कोयले से बने रेखाचित्र धीरे-धीरे एक दार्शनिक साधना में बदल गए — रूप के पार सुंदरता की खोज। उनकी प्रतिभा को शीघ्र ही न्यायमूर्ति ओंकार सिंह ने पहचाना, जिन्होंने उन्हें प्रसिद्ध सिख चित्रकार सोभा सिंह की कृतियों को पुनर्स्थापित करने का अवसर दिया — एक पवित्र शिष्यत्व जिसने उनके प्रारंभिक वर्षों को आकार दिया।

मार्गदर्शकों के सान्निध्य और जीवन की परीक्षाओं में परिष्कृत होकर, अनुराग की कला-भाषा यथार्थवाद और अतियथार्थवाद से विकसित होकर उनके अपने लिब्रे एसेंस (Libre Essence) रूप में खिली — एक आंतरिक, आध्यात्मिक और सहज अभिव्यक्ति, जहाँ हर ब्रश स्ट्रोक एक मंत्र बन जाता है।

उनकी रचनाएँ पोप जॉन पॉल द्वितीय द्वारा सराही गईं और रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय द्वारा सम्मानित की गईं — ऐसे वैश्विक सम्मान जिन्हें बहुत कम भारतीय कलाकारों ने प्राप्त किया है।

अपने रचनात्मक जीवन के समानांतर, अनुराग ने मानव संसाधन प्रबंधन (MBA) में उच्च शिक्षा प्राप्त की और 25 वर्षों का HR और नेतृत्व अनुभव अर्जित किया।

उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से लीडरशिप एंड चेंज मैनेजमेंट का प्रमाणपत्र प्राप्त किया — जिससे संरचना और आत्मा, लोगों और उद्देश्य का समन्वय हुआ।

इस संयोजन ने उन्हें केवल एक कलाकार ही नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक नेता के रूप में भी गढ़ा — जो आंतरिक विकास और बाह्य उत्कृष्टता के बीच सेतु बनाते हैं।

आज, लिब्रे एसेंस स्टूडियो अनंता के माध्यम से, अनुराग एक आध्यात्मिक कलाकार-नेता के रूप में खड़े हैं — एक ऐसे रचनात्मक चेतना के दूत जो कला को उपासना, साधना और स्मृति बना देता है।

उनकी पेंटिंग्स, मूर्तियाँ और रिलीफ्स केवल कलाकृतियाँ नहीं हैं — वे रंग और निस्तब्धता में ध्यान हैं; प्रत्येक एक पवित्र अर्पण, जो दृश्य और अदृश्य के बीच एक सेतु बनाता है,

हमें स्मरण दिलाता है कि सच्ची कला केवल हाथों से नहीं, बल्कि आत्मा की समर्पण भावना से जन्म लेती है।

“चित्र बनाना प्रार्थना है; मूर्ति गढ़ना सेवा है; सृजन करना स्मरण है।”